
सारंगढ़ सारंगढ़ जिले के बरमकेला क्षेत्र मे किसानो के द्वारा सरसो की खेती करके लाखों रुपए कमा रहे हैँ, और सरसो से काफ़ी लाभन्वित हो रहे हैँ ग्राम पंचायत खैरगढ़ी मे तक़रीबन 200 एकड़ मे सरसो का फसल लगा हुआ है किसानो का कहना है की पिछले साल की तुलनात्मक इस साल सरसो की पैदावार अच्छा हुआ है, किसान गोवर्धन यादव, कमल गुप्ता, पद्मलोचन डनसेना एवं लिंगराज डनसेना ने बताया की सरसों की फसल में केवल एक या दो बार सिंचाई की आवश्यकता होती है. यह फसल तीन से साढ़े तीन महीने में पूरी तरह तैयार हो जाती है.
कम पानी की आवश्यकता और समय पर तैयार होने की वजह से सरसों की खेती किसानों के लिए लाभकारी विकल्प बन रही है. सरसों की खेती कम लागत और अधिक मुनाफे का जरिया है. खैरगढ़ी के किसान सरसों को गेहूं से बेहतर मानते हैं और इसकी खेती में जुटे हैं. सरसों की खेती के फायदे इसे किसानों के बीच लोकप्रिय बना रहे हैं. पिछले कुछ वर्षों से जिले के किसान सरसों उत्पादन से जुड़े हैं। साल दर साल सरसों के उत्पादन क्षेत्र में बढ़ोत्तरी हो रही है। कृषि विभाग भी सरसों उत्पादन को किसानों के अतिरिक्त आय का जरिया बनाने की दिशा में काम कर रहा है। इसके तहत किसानों को सरसों से होने वाले लाभ की बाते बताई जा रहीं हैं।
सरसों उत्पादन करने वाले किसानों को देख कर बाकी किसान भी सरसों की खेती को अपना रहे हैं। क्षेत्र में पहले किसान सरसों का उत्पादन सीमित मात्रा में सिर्फ भाजी के लिए करते थे और किसान कभी बाडिय़ों में भाजी प्राप्त करने के लिए सरसों लगाया करते थे। सरसों की भाजी बाजार में बेचकर किसानों को थोड़ी बहुत आमदनी होती थी। पर अब बड़े पैमाने पर जिले में सरसों की खेती शुरू कर दी गई है।
सरसों की खेती कर रहे किसान अब सिर्फ भाजी बेचकर आमदनी नहीं कर रहे, बल्कि गांव में सरसों से तेल भी निकाला जा रहा है। ग्रामीण सरसों को व्यापारियों को बेचते हैं। विदित हो कि क्षेत्र के किसान पहले सिर्फ वर्षा पर आधारित खरीफ फसल की ही पैदावार करते थे। वे रबी फसलों का उत्पादन नहीं कर पाते थे। जिन किसानों के पास सिंचाई की सुविधा थी, वे ही रबी फसल में सामान्य तौर पर गेहूं का उत्पादन करते थे। ऐसी स्थिति में सरसों की खेती किसानों के लिए बेहतर विकल्प के रूप में उभरी है। सरसों की खेती में अधिक पानी की आवश्यकता नहीं होती।